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Tuesday 14 March 2017

میں مصوّر ہوں ۔ اسریٰ عثمانی


میں مصوّر ہوں ۔ صائمہ پروین


صائمہ پروین، خدیجة الکبریٰ گرلس پبلک اسکول، جوگا بائی، نئی دہلی

Monday 13 March 2017

آئینہ کی فائل سے

حسن آراء  ٹرسٹ کی جاب سے 2006 میں منعقدہ مشاعرہ کی ایک رپورٹ۔

Sunday 12 March 2017

होली मुबारक

अहले  वतन को होली की मुबारकबाद 

कहीं पड़े न मोहब्बत की मार होली में
अदा से प्रेम करो दिल से प्यार होली में
गले में डाल दो बाँहों का हार होली में
उतारो एक बरस का ख़ुमार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
लगा के आग बढ़ी आगे रात की जोगन
नए लिबास में आई है सुब्ह की मालन
नज़र नज़र है कुँवारी अदा अदा कमसिन
हैं रंग रंग से सब रंग-बार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
हवा हर एक को चल फिर के गुदगुदाती है
नहीं जो हँसते उन्हें छेड़ कर हंसाती है
हया गुलों को तो कलियों को शर्म आती है
बढ़ाओ बढ़ के चमन का वक़ार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
ये किस ने रंग भरा हर कली की प्याली में
गुलाल रख दिया किस ने गुलों की थाली में
कहाँ की मस्ती है मालन में और माली में
यही हैं सारे चमन की पुकार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
तुम्हीं से फूल चमन के तुम्हीं से फुलवारी
सजाए जाओ दिलों के गुलाब की क्यारी
चलाए जाओ नशीली नज़र से पिचकारी
लुटाए जाओ बराबर बहार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
मिले हो बारा महीनों की देख-भाल के ब'अद
ये दिन सितारे दिखाते हैं कितनी चाल के ब'अद
ये दिन गया तो फिर आएगा एक साल के ब'अद
निगाहें करते चलो चार यार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
बुराई आज न ऐसे रहे न वैसे रहे
सफ़ाई दिल में रहे आज चाहे जैसे रहे
ग़ुबार दिल में किसी के रहे तो कैसे रहे
अबीर उड़ती है बन कर ग़ुबार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में
हया में डूबने वाले भी आज उभरते हैं
हसीन शोख़ियाँ करते हुए गुज़रते हैं
जो चोट से कभी बचते थे चोट करते हैं
हिरन भी खेल रहे हैं शिकार होली में
मिलो गले से गले बार बार होली में

                                                              ---- नज़ीर बनारसी

Saturday 11 March 2017

Shahzada Khushbakht

 شہزادہ خوش بخت کی کہانی انگریزی سے ماخوذ ہے۔ امید ہے یہ کہانی آپ سب کو پسند آئے گی۔









آئینۂ اطفال میں اور بھی بہت کچھ

Friday 10 March 2017

آئینہ کی فائل سے

موسیقار نوشاد پر  پیش ہے آئینہ میں شائع ایک  مضمون


Wednesday 8 March 2017

نظریاتی ادب

شاہ رشاد عثمانی کی کتاب نظریاتی ادب کا دوسرا ایڈیشن شائع ہوکر منظر عام پر آگیا ہے۔آئینہ شاہ رشاد عثمانی کی اجازت سے اس کا ویب ورزن شائع کر رہا ہے۔ مکمل کتاب پڑھنے کے لئے ٹائٹل پر کلک کریں۔

Tuesday 7 March 2017

Parinde Ki Kahani

ایک جنگل میں ایک آم کے درخت پر بہت سے پرندے رہتے تھے۔یہ اپنے چھوٹے سےگھونسلے میں خوش تھے۔   







آئینۂ اطفال میں اور بھی بہت کچھ

خوش خبری